क्या गैर-हिन्दू चलाएंगे हिन्दू मंदिर ? देखिये केरल सरकार का चौंका देने वाला फैसला
केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर कोर्ट का मानना है कि देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है. यह सार्वजनिक संपत्ति है. इसमें यदि पुरुष को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिला को भी जाने की अनुमति है. कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने का फैसला सुनाया. तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के बहुमत से दिए फैसले में कहा था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाना लैंगिक भेदभाव है और यह परंपरा हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है. दीपक मिश्रा ने कहा था कि धर्म मूलत: जीवन शैली है जो जिंदगी को ईश्वर से मिलाती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मंदिर में 10 से 50 उम्र की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध था.