छोटे शहरों से विदेश जाने का चलन बढ़ा, वीजा की मांग में 40% उछाल
वीजा लेने के मामले में टियर-2 शहरों ने इस साल मेट्रो शहरों की बढ़त को पीछे छोड़ दिया है. इस बात का खुलासा इकनॉमिक टाइम्स के साथ शेयर किए गए VFS ग्लोबल के डेटा में हुआ. डेटा में पता चला है कि टियर-2 शहरों के एप्लीकेशन में 40 फीसदी का उछाल आया है. इनमें अहमदाबाद, पुणे, जालंधर और चंडीगढ़ शामिल हैं. डेटा इस साल के शुरूआती 6 महीने का है. वहीं कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरू जैसे मेट्रो शहरों से वीजा एप्लीकेशन की मांग महज 21 फीसदी बढ़ी है. ऐसा नहीं है कि छोटे बेस के कारण टियर-2 शहरों के एप्लीकेशन्स में एकदम से 40 फीसदी उछाल आया है. केवल जालंधर, पुणे, मुंबई और चंडीगढ़ से तकरीबन 10 लाख वीजा एप्लीकेशन सालाना औसत तौर पर आते रहे हैं. डेटा में पता चला है कि त्रिवेंद्रम और गोवा जैसे शहरों में वीजा एप्लीकेशन में 100 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है. इनकी संख्या 10 हजार के आसपास है. VFS ग्लोबल 139 देशों में 60 सरकारों के लिए वीजा एप्लीकेशन मैनेज करती है. 2017 में इसने करीब 50 लाख एप्लीकेशन मेंटेन कीं. कंपनी भारत में 17 शहरों में वीजा एप्लीकेशन सेंटर मैनेज करती है. इसके अलावा कई जगह कंपनी अस्थाई वीजा सेंटर और मोबाइल पर ऑन डिमांड सर्विस भी देती है. बढ़ता पैसा, ऊंची उठती मिडिल क्लास और देश की ओवरऑल ग्रोथ के चलते लोकल और इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक में भी तेजी आई है. पिछले साल भारत से इंटरनेशनल उड़ान भरने वालों की संख्या 11.3 फीसदी बढ़कर 5 करोड़ 90 लाख पहुंच चुकी है. पिछले साल यूएस, मलेशिया, यूके, सेनेगन देश, कनाडा और चीन के लिए सबसे ज्यादा वीजा एप्लीकेशन आए थे. हिंदुस्तान के टियर-2 और टियर-3 शहरों से इंटरनेशनल ट्रैफिक बढ़ने की बहुत गुंजाइश है. APA सेंटर फॉर एविएशन एंड ग्लोबल ट्रैवल कंपनी एक्सपीडिया के मुताबिक, हिंदुस्तान से शौकिया तौर पर घूमने-घामने के लिए बाहर जाने वाले लोगों की संख्या 2025 तक लगभग तीन गुनी हो जाएगी. फिलहाल यह आंकड़ा 50 लाख है, जो 2025 तक एक करोड़ 30 लाख होने की संभावना है. इनमें बड़ा आंकड़ा छोटे शहरों के लोगों का है.