बीजेपी के इन सांसदों से आरएसएस नाराज, लोकसभा चुनाव में कटेगा टिकट?

Episode 19,   Aug 21, 2018, 07:40 AM

भले ही अभी लोकसभा चुनाव में समय शेष है, लेकिन इसे दिल्ली में भाजपा के लिए अच्छी स्थिति नहीं माना जा सकता है। हाल ही में पार्टी की एक आंतरिक रिपोर्ट में दिल्ली के सात सांसदों में से पांच के काम व जनता में उनके आकर्षण को लेकर रिपोर्ट में उन्हें अंतिम पायदान पर रखा गया है। माना जा रहा है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं से लेकर लोगों में भी अपने क्षेत्रीय सांसद व मंत्री के कार्य में नाराजगी जताई है। इसे लेकर अब संघ भी स्थानीय लोगों के बीच जाकर सभी संबंधित जनप्रतिनिधियों के बारे में अपने स्तर पर पड़ताल में जुट गया है। ताकि कोई भी अंतिम निर्णय लिए जाने से सही तरह से रिपोर्ट में कही गई बातों को परखा जा सके। संघ से जुड़े सूत्र की मानें तो रिपोर्ट में सांसद प्रवेश वर्मा और रमेश बिधूड़ी को लेकर फिलहाल खराब संकेत नहीं मिले हैं। लेकिन भाजपा की आंतरिक रिपोर्ट में दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी, पूर्वी दिल्ली के सांसद व राष्ट्रीय पदाधिकारी महेश गिरी, नई दिल्ली क्षेत्र से सांसद मीनाक्षी लेखी, बाहरी दिल्ली के सांसद उदित राज के काम व जनता से मिले फीडबैक के आधार पर उन्हें लेकर रिपोर्ट में सबसे कम अंक मिले हैं। वहीं चांदनी चौक क्षेत्र के सांसद व केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्षवर्धन की अपने संसदीय क्षेत्र में स्थिति लोगों की अपेक्षा के अनुकूल नहीं आंकी गई है। हालांकि उनकी ईमानदार नेता की छवि पर जनता एक राय है। पार्टी सूत्र की मानें तो आंतरिक रिपोर्ट कुछ ही समय पहले तैयार की गई है। जिसे संघ से भी साझा किया गया है। स्थानीय लोगों में सांसदों के काम और उनकी छवि को लेकर जताई गई नाराजगी तक की बात भी सामने आई है। पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं तक में सांसदों के व्यवहार का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। संघ के एक नेता के मुताबिक सांसद किस तरह से जनता के बीच लोकप्रिय है और जनहित के काम में कितनी दिलचस्पी ले रहा है, लोग उसे कितना पसंद करते हैं। इन बातों की जानकारी संघ भी स्थानीय लोगों से करता है। ऐसे में आंतरिक रिपोर्ट में कही गई बातों में से कुछ सच्चाई भी हो सकती है। फिलहाल यह पार्टी का ही निर्णय होगा कि किसे हटाना है या कहीं अन्य स्थान से किस सांसद को चुनाव लड़ाना है। संघ केवल आंतरिक रिपोर्ट की अपने स्तर पर सत्यता को अवश्य परख सकता है। ऐसे में संभव है कि ईमानदार व जनता में लोकप्रिय नेताओं को दूसरे संसदीय इलाके से भी आजमाया जाए। संघ की ओर से पार्टी के कार्य में दखल नहीं दी जाती है। केवल सुझाव दिये जा सकते हैं। स्थानीय सांसद व मंत्री से मिलने और उनसे अपनी समस्याओं को दूर कराने की आस लगाने वाले लोग इन दिनों खासे नाराज हैं। इनमें पार्टी के पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता व स्थानीय नागरिक शामिल हैं। लोगों का कहना है कि जनता दरबार के नाम पर दरअसल उनके साथ खिलवाड़ हो रहा है। क्योंकि जनता दरबार में लोग सीधे मंत्री व सांसद से मिलकर अपनी समस्याओं को दूर कराने की उम्मीद लगाते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा से जुड़े कुछ सांसद व मंत्री के निजी सचिव इस कार्यक्रम की रस्म अदायगी निभा रहे हैं। विभिन्न संसदीय इलाके में लोग इस तरह की गतिविधि से नाराज हैं। चांदनी चौक क्षेत्र में तो बाकायदा इस तरह के पोस्टर भी लगाए गए हैं, जिसमें मंत्री व स्थानीय सांसद के स्थान पर उनके निजी सचिव (अतिरिक्त) द्वारा जनता दरबार लगाने की जानकारी दी गई है। लोगों का कहना है कि वैसे भी मंत्री व सांसद से मिलने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं, यदि जनता दरबार में भी सचिव, निजी सचिव से मिलकर समस्या बतानी है तो ऐसे जनता दरबार का कोई फायदा नहीं। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले स्वयं भाजपा ने आप सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल के जनता दरबार में उपस्थित न रहने पर आपत्ति जताई थी।