हार्दिक पटेल लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, इस दांव से बीजेपी को गुजरात में करेंगे ढेर !

Episode 13,   Aug 14, 2018, 08:03 AM

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"हार्दिक पटेल को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा चुनाव थर्ड फ्रंट के बैनर तले लड़ सकते हैं. उनके उत्तर गुजरात की मेहसाणा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन खुद हार्दिक सौराष्ट्र की सीट से लड़ने के इच्छुक हैं. बहरहाल, उनके लिए सुरक्षित सीट ढूंढ़ने का जिम्मा एक स्वतंत्री एजेंसी को दिया गया है. हार्दिक गत माह जुलाई में ही 25 साल के हुए हैं. गुजरात के पाटीदार समुदाय को ओबीसी वर्ग में आरक्षण देने की मांग के साथ पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे हार्दिक का जन्म अहमदाबाद के वीरमगाम में 20 जुलाई, 1993 को हुआ था. पाटीदार समाज को आरक्षण, किसानों की कर्जमाफी, युवाओं को नौकरी तथा महिला सशक्तिकरण के मुद्दों को लेकर वे आंदोलन कर रहे हैं. गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने खुलकर भाजपा की खिलाफत की, वहीं कांग्रेस के समर्थन में प्रचार भी किया था. पाटीदार समुदाय भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. खुद हार्दिक कडवा पाटीदार समुदाय से आते हैं। उत्तर गुजरात में इनकी संख्या काफी है, लेकिन मेहसाणा उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल का गढ़ होने से हार्दिक इस सीट से चुनाव लड़कर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं. उनके करीबी चाहते हैं कि हार्दिक मेहसाणा से चुनाव लड़े, लेकिन विसनगर में विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ मामले में दोषी साबित होने के बाद हाईकोर्ट उनके मेहसाणा में नहीं जाने की शर्त पर ही सजा पर रोक के साथ उन्हें जमानत दी है. हार्दिक पिछले माह ही 25 साल के हुए हैं इसलिए इस बात की संभावना प्रबल है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़कर आगामी लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बनना चाहते हैं. उत्तर गुजरात या सौराष्ट्र से वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, बहरहाल, एक स्वतंत्र एजेंसी से सुरक्षित सीट का सर्वे कराने की बात सामने आ रही है. गौरतलब है कि हार्दिक आरक्षण की मांग को लेकर 25 अगस्त से आमरण उपवास करने वाले हैं. आरक्षण आंदोलन के दौरान उन पर सैकड़ों मुकदमें हुए. इनमें से एक विसनगर मामले में तो दो साल की सजा भी सुनाई जा चुकी है. कानून के जानकार सजा होने को उनकी चुनावी राजनीति पर विराम के रूप में देख रहे हैं, लेकिन हाईकोर्ट से राहत के बाद माना जा रहा है कि उनके चुनाव लड़ने में कोई कानूनी बाधा नहीं है.