बीजेपी लोकसभा चुनाव में इन दलित सांसदों का काट सकती है टिकट, ये है वजह !
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के यूपी दौरे के बाद बीजेपी पूरी तरह चुनावी मूड में आ गई है। इसके लिये पार्टी संगठन फेरबदल की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार अगले महीने तक टल गया है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी और आरएसएस की तमाम बैठकों में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के कई ऐसे सांसद हैं, जिनसे जनता काफी नाराज है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अब इन सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी उत्तर प्रदेश के मौजूदा 25 से अधिक सांसदों के टिकट काटने जा रही है। इनमें कई दलित सांसदों पर भी गाज गिर सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी के 71 सांसद चुनाव जीते थे, जिनमें से 17 दलित सांसद थे। इनमें से पार्टी की उम्मीदों पर खरा न उतरने वाले कई सांसदों पर गाज गिर सकती है। जिन्हें आभास है, उन्होंने नया ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले कई दलित सांसदों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इनमें सबसे ऊपर नाम बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले का है। रॉबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार, इटावा से सांसद अशोक दोहरे और नगीना सांसद यशवंत सिंह भी खुलेतौर पर नाराजगी जता चुके हैं। सावित्रीबाई फुले आरक्षण के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ लखनऊ में बड़ी रैली कर चुकी हैं, वहीं सांसद यशवंत सिंह चार सालों में मोदी सरकार पर दलितों की उपेक्षा का आरोप लगा चुके हैं। इनके अलावा लालगंज की सांसद नीलम सोनकर, मिश्रिख सांसद अंजू बाला, हरदोई सांसद अंशुल वर्मा और मछलीशहर से सांसद रामचंद्र निषाद का टिकट काटे जाने की चर्चा है। राजनीतिक गलियारों में उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्रा के टिकट काटे जाने की भी चर्चा है।